२. हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उस की भलाई के लिये सुधारने के निमित प्रसन्न करे।
३. क्योंकि मसीह ने अपने आप को प्रसन्न नहीं किया,
रोमियो १५ः२,३

१६. और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
१४. और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्ध है बान्ध लो। कुलुस्सियों ३:१३, १४

2. Let every one of us please his neighbor for his good to edification.
3. For even CHRIST pleased not Himself; Romans 15: 2, 3

13. Forbearing one another, and forgiving one another, if any man have a quarrel against any: even as CHRIST forgave you, so also do you.
14. And above all these things put on love, which is the bond of perfection.
Colossians 3:13,14